दिल्ली HC ने केजरीवाल सरकार से मांगा विज्ञापन पर खर्च का ब्योरा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार से पूछा है कि टीवी, रेडियो और अखबार में वह जो विज्ञापन दे रही है, उन पर सरकार का या आम आदमी पार्टी का, किसके फंड से पैसा खर्च हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ ने पूछा कि सरकार बताए कि विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उन्होंने जो विज्ञापन प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिए हैं, उन पर अब तक कितने रुपये खर्च किए गए और पैसे कहां से आए?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश सबके लिए मान्य हैं। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है। आप अन्य राज्यों में रुपये कैसे खर्च कर सकते हैं। सरकार दिल्ली समेत अन्य राज्यों जैसे चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु आदि में दिए जा रहे विज्ञापनों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।
मामले की सुनवाई तीन अगस्त को होगी। जवाब में दिल्ली सरकार के अधिवक्ता रमन दुग्गल ने कहा कि विज्ञापनों पर पैसा पार्टी फंड से खर्च किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत विज्ञापनों को हटाने का आदेश दे दिया गया है।
यह है मामला
पेश मामले में अदालत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय मकान की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में दिल्ली सरकार के टीवी, रेडियो व अखबारों में चलाए जा रहे विज्ञापन अभियान पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम प्रकाशित करने पर रोक लगाने की भी मांग की गई है।
आरोप है कि सरकार एडवरटाइजिंग गाइडलाइन, 2014 का उल्लंघन कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद दिल्ली सरकार अपने विज्ञापनों में केजरीवाल की फोटो प्रकाशित कर रही है। सरकार ने विज्ञापन के बजट को 24 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 526 करोड़ कर दिया है। इतनी रकम से दिल्ली में कई स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं व अन्य सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।

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