व्यापम घोटाला: केंद्र ने सीबीआई जांच कराने से किया इनकार, कांग्रेस ने चौहान की बर्ख्रास्तगी की मांग की
भोपाल/नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच से सोमवार को केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब व्यापम के जरिए नियुक्त हुई एक महिला प्रशिक्षु सब-इंस्पेक्टर को एक झील में मृत पाया गया।
दाखिले और भर्ती के इस घोटाले से जुड़े लोगों की पिछले दो साल से लगातार हो रही रहस्यमयी मौतों के मद्देनजर कांग्रेस ने चौहान की बर्ख्रास्तगी की मांग की।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि सभी ऐसी ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं’को व्यापम घोटाले से जोड़ना ‘उचित नहीं’ है।
कांग्रेस की ओर से लगातार की जा रही सीबीआई जांच की मांग के बीच भाजपा ने चौहान का समर्थन करते हुए कहा
कि उच्चतम न्यायालय की ओर से इस बाबत कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अर्जी खारिज कर दिए जाने के बाद राज्य सरकार को इसका आदेश देने की जरूरत नहीं है।
इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को पद से हटाने की मांग करने वाली एक अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। यादव पर व्यापम घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मध्य प्रदेश के झाबुआ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘घोटाले की एसआईटी जांच चल रही है। सरकार इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय को निर्देश नहीं दे सकती।’
यह पूछे जाने पर कि आखिर राज्य सरकार सीबीआई जांच से भाग क्यों रही है, सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय पहले ही इस बाबत एक जनहित याचिका को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘पहले से चल रही जांच को अभी सीबीआई को सौंपने का कोई मतलब नहीं है।’ गृह मंत्री ने कहा, ‘यदि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय को लगता है कि जांच सही तरीके से नहीं की जा रही है, तो वह निर्देश देगा और सरकार इसे तुरंत स्वीकार कर लेगी और मामले को सीबीआई को सौंप देगी।’ इस मामले के व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी :26: ने दावा किया कि उनकी जान को खतरा है। उन्होंने चौहान पर घोटाले में ‘सीधे तौर पर शामिल’ होने का आरोप लगाया। हालांकि, चौहान ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया।
पिछले तीन दिनों में हुई दो रहस्यमयी मौत के बाद आज मध्य प्रदेश के सागर जिले में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी से सटी एक झील में प्रशिक्षु सब-इंस्पेक्टर अनामिका सिकरवार (25) का शव बरामद किया गया। इससे पहले झाबुआ में व्यापम घोटाले की जांच के सिलसिले में गए पत्रकार अक्षय सिंह (38) की मौत हुई थी। इसके अलावा, जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरूण शर्मा दिल्ली के द्वारका इलाके के एक होटल में मृत पाए गए थे। शर्मा व्यापम के फर्जी परीथार्थियों की जांच कर रहे थे।
सागर के सिटी पुलिस अधीक्षक गौतम सोलंकी ने कहा कि उन्हें अनामिका की मौत संदिग्ध आत्महत्या का मामला लगता है। हालांकि, कांग्रेस ने इस दावे को तुरंत खारिज कर दिया। अनामिका व्यापम के जरिए पुलिस सेवा में चयनित होकर सब-इंस्पेक्टर बनी थी। लेकिन पुलिस ने कहा कि उसके चयन का व्यापम घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है और वह संदिग्ध लाभार्थी नहीं थी।
मुख्यमंत्री ने तुरंत इस बात से इनकार किया कि अनामिका की मौत का ताल्लुक व्यापम घोटाले की जांच से है। चौहान ने कहा, ‘यह एक दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पर मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का व्यापम या इसकी जांच से कोई लेना-देना नहीं है। और ऐसी सभी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को व्यापम से जोड़ना उचित नहीं है।’
उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग कर रही कांग्रेस ने चौहान पर हमले तेज करते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान व्यापम घोटाले से किसी न किसी तरह जुड़े रहे ‘45 लोगों की मौत’ की जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नई दिल्ली में कहा, ‘शिवराज सिंह चौहान को बर्खास्त किया जाना चाहिए और व्यापम घोटाले में निष्पक्ष जांच होने देना चाहिए।’
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